महात्मा गांधी की बुनियादी शिक्षा (नईतालीम) की अवधारणा और एनईपी 2020- एक व्यापक समीक्षा

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डॉ सरिता गोस्वामी

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20वी सदी की शुरु आत में प्रस्तावित महात्मा गांधी के बुनियादी शिक्षा (नईतालीम) के दर्शन ने शिक्षा के लिए एक एकीकृत समग्रदृष्टि, कोण जिसमें व्यावहारिक शिक्षा नैतिक विकास और सामुदायिक जुड़ाव पर ध्यान केंद्रित किया, दूसरी ओर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020,-21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने और परिवर्तित करने के लिए भारत के दृष्टिकोण का प्रति निधित्व करती है जिसमें समावेशिता आलोचनात्मक सोच और प्रौद्योगिकी के एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया है महात्मा गांधी का शैक्षिक दर्शन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति एनईपी 2020 समग्र विकास और व्यक्ति के सशक्तीकरण की एक समानदृष्टि साझा करते हैं। गांधी की बुनियादी शिक्षा (नईतालीम) की अवधारणा और एनईपी 2020 यद्यपि बहुत अलग-अलग संदर्भों में विकसित की गई हैं लेकिन इनका उद्देश्य भारत में शिक्षा प्रणाली में क्रांतिलाना इस संदर्भ में यह शोधपतर्क करता है कि नई तालीमया वर्धा योजना सशक्त भारतीय समाज के लिए एक रोड मै पहोसकता है। आज का भारत एक प्रमुख चुनौती का सामना कर रहा है कि क्या हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली एक सतत समाज बनाने में सक्षमहै। क्या यह युवापीढ़ी को एक जिम्मेदार और सचेत नागरिक बनने के लिए आवश्यक ज्ञान प्रदान करती है? यह शोध पत्र शैक्षिक पाठ्यक्रम और शिक्षा शास्त्र के संदर्भ में बुनियादी शिक्षा के सिद्धांतों का विश्लेषण और ंइसकी भूमिका की जांच करेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत की शिक्षण दृष्टि कोण में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। जिसका लक्ष्य प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के शैक्षिक प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन लाना है। यह दोनों की समीक्षा नई तालीम, लिंग समानता, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, सामाजिक असमानता, स्थायी लक्ष्य, स्थायी समाज, वर्धायोजना की समानताओं, अंतरों और संभावितताल मेल पर प्रकाश डालती है।

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How to Cite
डॉ सरिता गोस्वामी. (2025). महात्मा गांधी की बुनियादी शिक्षा (नईतालीम) की अवधारणा और एनईपी 2020- एक व्यापक समीक्षा. International Journal of Advanced Research and Multidisciplinary Trends (IJARMT), 2(2), 340–347. Retrieved from https://www.ijarmt.com/index.php/j/article/view/217
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