रामायण में वर्णित शिक्षा-व्यवस्था

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ऋचा

Abstract

सभ्यता एवं संस्कृति के सम्यक् प्रसार तथा विकास के लिए एवं वैयक्तिक, सामाजिक और राष्ट्रीय प्रगति के लिए शिक्षा नितान्त आवश्यक है| मनुष्य जीवन में शिक्षा का सर्वाधिक महत्त्व है| चरित्र निर्माण, व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास, कर्त्तव्य भावना की जागृति, प्राचीन साहित्य एवं संस्कृति के संरक्षण के लिए शिक्षा की आवश्यकता है|

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How to Cite
ऋचा. (2025). रामायण में वर्णित शिक्षा-व्यवस्था. International Journal of Advanced Research and Multidisciplinary Trends (IJARMT), 2(2), 563–568. Retrieved from https://www.ijarmt.com/index.php/j/article/view/258
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References

वाल्मीकि रामायण, बालकाण्ड, 6.14

व्यास, शान्तिकुमार नानूराम, रामायणकालीन संस्कृति, पृ. 18

वा.रा., अयोध्या काण्ड, 54.11-12

उत्तरकाण्ड, 93.14-16

अयो. 23.15-19

बाल. 14.19

सुन्दरकाण्ड, 36.2

युद्ध. 64.25

युद्ध. 105.13, बाल. 14.43, 15.2 – होता, अध्वर्यु, उद्गाता एवं ब्रह्मा नामों से चारों वेदों का ग्रहण |

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