वर्तमान समय में बाल साहित्य की प्रासंगिकता

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जशवन्त सिंह,प्रोफेसर मीना यादव

Abstract

आज के बच्चे कल के नागरिक, राष्ट्र निर्माता हैं उनके लिए लिखा गया बाल साहित्य बेहद महत्वपूर्ण है। अलिखित या मौखिक रूप में शुरू हुये बाल साहित्य निरंतर परिवर्द्धित एवं संबर्द्धित लिखित रूप में सुविकसित एवं समृद्धशाली स्वरूप में हम सबके सम्मुख है।
बाल साहित्य के माध्यम से बच्चों में बालोपयोगी महत्वपूर्ण गुण एवं मानवीय मूल्यों को स्थापित किया जा सकता है।
प्राचीन काल से ही बाल साहित्य की प्रासंगिकता सदैव विद्यमान रही है। आज आधुनिकता के दौर में बाल साहित्य के प्रति बच्चों का आकर्षण कुछ कम हुआ है, जिसे श्रेष्ठ बाल साहित्य के द्वारा बढ़ाया जा सकता है।
बच्चों से पहले बड़ों-माता-पिता शिक्षकों आदि को बाल साहित्य अवश्य पढ़ना चाहिए। जिससे बच्चों को अच्छा बाल साहित्य उपलब्ध कराने में सुविधा रहेगी।
बाल साहित्य को प्रमुख तीन रूपों में बांटा जा सकता है -
1.शिशु साहित्य 2. बाल साहित्य 3. किशोर साहित्य
वर्तमान समय में भी बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक बाल साहित्य बेहद प्रासंगिक है।

 

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How to Cite
जशवन्त सिंह,प्रोफेसर मीना यादव. (2025). वर्तमान समय में बाल साहित्य की प्रासंगिकता. International Journal of Advanced Research and Multidisciplinary Trends (IJARMT), 2(2), 956–965. Retrieved from https://www.ijarmt.com/index.php/j/article/view/357
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References

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वही, पृष्ठ संख्या-41

वही, पृष्ठ संख्या-45

वही, पृष्ठ संख्या-45

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