वर्तमान समय में बाल साहित्य की प्रासंगिकता
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Abstract
बाल साहित्य के माध्यम से बच्चों में बालोपयोगी महत्वपूर्ण गुण एवं मानवीय मूल्यों को स्थापित किया जा सकता है।
प्राचीन काल से ही बाल साहित्य की प्रासंगिकता सदैव विद्यमान रही है। आज आधुनिकता के दौर में बाल साहित्य के प्रति बच्चों का आकर्षण कुछ कम हुआ है, जिसे श्रेष्ठ बाल साहित्य के द्वारा बढ़ाया जा सकता है।
बच्चों से पहले बड़ों-माता-पिता शिक्षकों आदि को बाल साहित्य अवश्य पढ़ना चाहिए। जिससे बच्चों को अच्छा बाल साहित्य उपलब्ध कराने में सुविधा रहेगी।
बाल साहित्य को प्रमुख तीन रूपों में बांटा जा सकता है -
1.शिशु साहित्य 2. बाल साहित्य 3. किशोर साहित्य
वर्तमान समय में भी बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक बाल साहित्य बेहद प्रासंगिक है।
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वही, पृष्ठ संख्या-45
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