मध्ययुगीन पाश्चात्य दर्शन में ईश्वर विचार
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Abstract
ग्रीक दर्शन का बाइबिल के धर्म से जब समागम हुआ तो धीरे-धीरे स्वतन्त्रा दर्शन सर्वथा लुप्त होकर केवल धार्मिक विषयों में जितने दर्शन की अपेक्षा है। ईश्वर सत्य है, इसलिए एक दृष्टि से वह प्रत्येक मनुष्य में निवास करता है। वह नित्य सत्ता है, इसलिए मनुष्य से भी परे है। ईश्वर का वर्णन निषेधात्मक रूप से किया जा सकता है। ईश्वर विशु एवं परिवर्तनहीन है। वह दिव्य एवं काल से परे है। ईश्वर से मनस् को प्रकाश एवं संकल्प की शक्ति प्राप्त होती है।
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References
यूरोपीय दर्शन - रामावतार शर्मा, पृö 25
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पाश्चात्य दर्शन - रूपाली श्रीवास्तव, पृö 94
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मूलप्रकृतिरविकृति..... पुरूषः, सांख्यकारिका
यूरोपीय दर्शन - रामावतार शर्मा, पृö 26