उच्च माध्यमिक विद्यालयों में मूल्य शिक्षाः जिम्मेदार भविष्य के नागरिकों का निर्माण
Main Article Content
Abstract
वर्तमान वैश्विक और राष्ट्रीय परिदृश्य में जब समाज विविध सामाजिक, नैतिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहा है, तब उच्च माध्यमिक विद्यालयों में मूल्य शिक्षा का स्थान और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। यह वह उम्र होती है जब छात्र किशोरावस्था से वयस्कता की ओर अग्रसर होते हैं और उनका व्यक्तित्व तेजी से आकार लेता है। यदि इस चरण में उन्हें उचित नैतिक मार्गदर्शन, सहानुभूति, सामाजिक उत्तरदायित्व, अनुशासन और सहिष्णुता जैसे जीवन मूल्यों से परिचित कराया जाए, तो वे न केवल बेहतर विद्यार्थी बनते हैं, बल्कि भविष्य में जिम्मेदार नागरिक के रूप में समाज की सेवा के लिए तत्पर होते हैं। उच्च माध्यमिक स्तर पर मूल्य शिक्षा छात्रों में विवेकशीलता, आलोचनात्मक सोच, आत्म-अनुशासन, और निर्णय लेने की नैतिक क्षमता का विकास करती है। पाठ्यक्रम में नागरिक शास्त्र, नैतिक शिक्षा, पर्यावरणीय शिक्षा, और मानवाधिकार जैसे विषयों का समावेश, सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों जैसे सामाजिक सेवा, स्वच्छता अभियान, बाल संसद, सांस्कृतिक आयोजन, और समूह चर्चाओं के माध्यम से मूल्यों को व्यवहार में लाया जा सकता है। साथ ही, शिक्षकों की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो अपने आचरण और संवाद शैली से छात्रों में मानवीय मूल्यों की स्थापना करते हैं।
Article Details

This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial 4.0 International License.
References
शिक्षा मंत्रालय. नई शिक्षा नीति 2020. भारत सरकार, 2020.
एनसीईआरटी. विद्यालयों में मूल्यों की शिक्षा रू एक रूपरेखा. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, 2012.
कुमार, कृष्ण. व्हाट इज वर्थ टीचिंग? तृतीय संस्करण, ओरिएंट ब्लैक्स्वान, 2004.
नॉडिंग्स, नेल. एजुकेटिंग फॉर इंटेलिजेंट बिलीफ ऑर अनबिलीफ. टीचर्स कॉलेज प्रेस, 1993.
यूनेस्को. लर्निंगः द ट्रेजर विदइन. जैक्स डेलॉर की अध्यक्षता में इक्कीसवीं सदी के लिए शिक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय आयोग की रिपोर्ट, 1996.