महेश दिवाकर के खण्डकाव्य में राष्ट्रीय चेतना

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Dr. Vikram Goutam Singh Shekhawat

Abstract

महेश दिवाकर के खण्डकाव्य में राष्ट्रीय चेतना एक प्रमुख और गहन तत्व के रूप में उभरकर सामने आती है। उनकी रचनाओं में राष्ट्रीय चेतना का अर्थ है देश के प्रति गहरा प्रेम, स्वाभिमान, और राष्ट्रीय समस्याओं तथा मूल्यों के प्रति सजगता। दिवाकर अपने खण्डकाव्य के माध्यम से न केवल भारतीय संस्कृति और धरोहर का गुणगान करते हैं, बल्कि देश के समकालीन सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को भी उकेरते हैं। उनकी कविताओं में प्रतीकवाद और रूपक का सशक्त प्रयोग किया गया है, जो राष्ट्रीय भावना को और भी प्रबल बनाता है। दिवाकर की काव्य शैली, जिसमें वह देशभक्ति के विचारों को अभिव्यक्त करते हैं, पाठकों को प्रेरित और जागरूक करती है। उनकी रचनाएँ न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे राष्ट्रीय चेतना को प्रोत्साहित करने और समाज में जागरूकता फैलाने का भी कार्य करती हैं। इस प्रकार, महेश दिवाकर का खण्डकाव्य हिंदी साहित्य में राष्ट्रीय चेतना को एक विशेष स्थान प्रदान करता है और इसे समृद्ध बनाता है। 

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How to Cite
Dr. Vikram Goutam Singh Shekhawat. (2024). महेश दिवाकर के खण्डकाव्य में राष्ट्रीय चेतना. International Journal of Advanced Research and Multidisciplinary Trends (IJARMT), 1(1), 53–60. Retrieved from https://www.ijarmt.com/index.php/j/article/view/18
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References

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