आधुनिक हिंदी साहित्य (1960–2020) में स्त्री लेखन की प्रतिनिधि लेखिकाएँ

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Khairnar Anita Gulabrao,Dr. Rajendra Kashinath Baviskar

Abstract

आधुनिक हिंदी साहित्य (1960–2020) का कालखंड स्त्री लेखन के उभार, विस्तार और सशक्तिकरण का महत्वपूर्ण युग रहा है, जिसमें महिला लेखिकाओं ने न केवल साहित्य की विषयवस्तु और दृष्टिकोण को बदला, बल्कि उन्होंने सामाजिक-सांस्कृतिक संरचनाओं को चुनौती देने वाला वैकल्पिक विमर्श भी प्रस्तुत किया। महादेवी वर्मा, मन्नू भंडारी, इस्मत चुगताई, कृष्णा सोबती, मृदुला गर्ग, मैत्रेयी पुष्पा, ममता कालिया, चित्रा मुद्गल, उषा प्रियंवदा जैसी लेखिकाओं ने स्त्री के अनुभव संसार को साहित्य के केंद्र में लाते हुए आत्मनिर्णय, यौन स्वतंत्रता, पारिवारिक संरचना, पितृसत्ता, सामाजिक असमानता, और वर्ग-जाति के अंतर्संबंधों को नई दृष्टि से प्रस्तुत किया। इनके लेखन में स्त्री अनुभव केवल भावनात्मक पक्ष नहीं बल्कि वैचारिक प्रतिरोध और सामाजिक हस्तक्षेप का स्वरूप ग्रहण करता है। इस कालखंड में स्त्री विमर्श ने एक साहित्यिक आंदोलन का रूप लेकर स्त्री अस्मिता को पुनर्परिभाषित किया और साहित्य को लोकतांत्रिक, समावेशी एवं बहुस्तरीय स्वर प्रदान किया। समकालीन लेखिकाएँ जैसे—गीतांजलि श्री, नीलिमा चौहान, सुष्मिता बंद्योपाध्याय आदि—नए विमर्शों, भाषिक प्रयोगों और तकनीकी माध्यमों का सहारा लेकर स्त्री लेखन को वैश्विक संदर्भों से जोड़ रही हैं।

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Khairnar Anita Gulabrao,Dr. Rajendra Kashinath Baviskar. (2025). आधुनिक हिंदी साहित्य (1960–2020) में स्त्री लेखन की प्रतिनिधि लेखिकाएँ. International Journal of Advanced Research and Multidisciplinary Trends (IJARMT), 2(1), 803–811. Retrieved from https://www.ijarmt.com/index.php/j/article/view/395
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