सिंधु घाटी सभ्यता सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संरचना का अध्ययन

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प्रमोद कुमार मीना

Abstract

सिंधु घाटी सभ्यता, जिसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है, प्राचीन भारत की सबसे उन्नत और संगठित सभ्यताओं में से एक थी। इसकी सामाजिक संरचना वर्गीकृत और संतुलित थी, जिसमें शासक वर्ग, व्यापारी, कारीगर, और किसान प्रमुख थे। महिलाओं को समाज में विशेष स्थान प्राप्त था, जो मातृदेवी की पूजा और मातृसत्तात्मक मान्यताओं से स्पष्ट होता है। नगर नियोजन, जल निकासी प्रणाली, और सामुदायिक जीवन सभ्यता की सामाजिक संरचना में सामंजस्य और संगठन को दर्शाते हैं। इस सभ्यता की आर्थिक संरचना मुख्यतः कृषि और व्यापार पर आधारित थी। गेहूँ, जौ, कपास जैसी फसलों की खेती और सिंचाई प्रणाली ने कृषि को समृद्ध बनाया। व्यापार में मेसोपोटामिया और फारस के साथ संबंध इस सभ्यता की बाहरी दुनिया से जुड़ाव को दर्शाते हैं। शिल्पकला और कुटीर उद्योग, जैसे मोहरों, मनकों, गहनों, और बर्तनों का निर्माण, सभ्यता की आर्थिक समृद्धि और तकनीकी कौशल को उजागर करते हैं। सांस्कृतिक संरचना में धार्मिक मान्यताओं, स्थापत्य कला, और शिल्पकला का विशेष स्थान था। पशुपति और मातृदेवी जैसे प्रतीकों की पूजा, महान स्नानागार और सुव्यवस्थित नगर संरचना स्थापत्य कला की उन्नति को दर्शाते हैं। नर्तकी की कांस्य मूर्ति, सील, और चित्रकारी, इस सभ्यता की कला और शिल्प के उत्कृष्ट स्तर को रेखांकित करती हैं।

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How to Cite
प्रमोद कुमार मीना. (2025). सिंधु घाटी सभ्यता सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संरचना का अध्ययन. International Journal of Advanced Research and Multidisciplinary Trends (IJARMT), 2(1), 38–51. Retrieved from https://www.ijarmt.com/index.php/j/article/view/40
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